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“एक अच्छी किताब का कोई अंत नहीं होता।”     “किताब ही व्यक्ति के जीवन का आधार हैं।”

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Saturday, July 31, 2021

CELEBRATING AUTHORS’ BIRTHDAY


CELEBRATING AUTHORS’ BIRTHDAY






J.K. Rowling is the British author who created the popular and critically acclaimed Harry Potter series (seven books published between 1997 and 2007), about a lonely orphan who discovers that he is actually a wizard and enrolls in the Hogwarts School of Witchcraft and Wizardry





Dhanpat Rai Srivastava, better known by his pen name Munshi Premchand, was an Indian writer famous for his modern Hindustani literature. He is one of the most celebrated writers of the Indian subcontinent, and is regarded as one of the foremost Hindi writers of the early twentieth century. Wikipedia Born: 31 July 1880, Lamhi, Varanasi
Died: 8 October 1936, Varanasi
Spouse: Shivarani Devi (m. 1906–1936)
Education: Central Hindu Boys School
Children: Amrit Rai, Sripath Rai, Kamala Devi


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कथानायक और उपन्यास सम्राट भी कहा जाता है। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गाँव में हुआ था। प्रेमचंद का मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनकी माँ का नाम आनन्दी देवी था और पिता का नाम मुंशी अजायबराय था। उनके पिता लमही में डाकमुंशी थे। पढ़ने का शौक उन्‍हें बचपन से ही था। उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी भाषा से हुआ। अपने पढ़ने के शौक़ के चलते साहित्य मे उनकी रुचि बचपन से ही हो गई। बचपन में ही उन्होने ने देशी विदेशी कई साहित्य की किताबें पढ़ डालीं।
सात साल की उम्र में प्रेमचंद की माँ और चौदह साल की उम्र में उनके पिता की मृत्यु हो जाने के कारण छोटी उम्र में प्रेमचंद को काफी संघर्ष करना पड़ा। उस समय की प्रथा के अनुसार उनकी शादी पंद्रह वर्ष की उम्र में ही हो गई जो की सफल नहीं रही। बाद में उन्होंने दूसरा विवाह शिवरानी देवी से किया जो बाल विधवा थी।
पिता के असमय देहांत के कारण घर परिवार की ज़िम्मेदारी भी बहुत ही कम उम्र में उनके ऊपर आ गई। लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद एक स्कूल में अध्यापक की नौकरी कर ली। पढ़ाने के साथ- साथ ही उन्होंने बीए पास किया और शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हुए। बाद में गांधीजी से प्रेरित होकर उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खुद को देशसेवा और लेखन कार्य में पूरी तरह समर्पित कर दिया।
प्रेमचंद का साहित्यिक जीवन 1901 से ही शुरू हो गया था। पहले वे नाबाब राय के नाम से लिखते थे। 1908 मे प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह सोज़े-वतन अर्थात राष्ट्र का विलाप नाम से प्रकाशित हुआ। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होने के कारण इस पर अंग्रेज़ी सरकार ने रोक लगा दी और इसके लेखक को भविष्‍य में इस तरह का लेखन न करने की चेतावनी दी। इसके बाद धनपत राय, प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे। प्रेमचंद के नाम से उनकी पहली कहानी ज़माना पत्रिका के दिसम्बर 1910 मे प्रकाशित हुई। इस कहानी का नाम बड़े घर की बेटी था।
प्रेम चन्द की रचनाओं में हमे तत्कालीन दलित समाज, औरतों की स्थिति और समाज में व्याप्त विसंगतियाँ का दर्शन प्रत्यक्ष रूप से होता है। प्रेमचंद ने लगभग बारह, उपन्यास तीन सौ के करीब कहानियाँ, कई लेख एवं नाटक लिखे हैं।
प्रेमचंद द्वारा रचित कहानियों में पूस की रात, ईदगाह,बड़े भाई साहब, अलगोझा,गुल्ली डंडा, पंच परमेश्‍वर, दो बैलों की कथा, बूढी काकी, मंत्र, कफन इत्यादि प्रमुख कहानियाँ हैं।
प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यासों में सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, कायाकल्प, गबन, कर्मभूमि, गोदान इत्यादि प्रमुख हैं। उनका अंतिम उपन्यास मंगलसूत्र है जो अपूर्ण है इसी उपन्यास के रचना के दौरान 8 अक्टूबर 1936 को लंबी बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। बाद में उनके पुत्र अमृत राय ने यह उपन्यास पूरा किया।
हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में प्रेमचंद का योगदान अतुलनीय है। बंगाल के प्रमुख उपन्यासकार शरत चंद्रचट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर नए उपनाम से संबोधित किया था। उनके बेटे अमृत राय ने कलम का सिपाही नाम से उनकी जीवनी लिखी है जो उनके जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालती है।


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जे. के. रोलिंग का जन्म 31 जुलाई 1965 येट ग्लोसेस्टरशायर इंग्लैंड में हुआ था, उनके पिता एक एयरक्राफ्ट इंजिनियर और माँ एक विज्ञान तकनीशियन थी। जे. के. रोलिंग की एक ढाई साल छोटी बहन थी जिसे बचपन में वे अकसर मायावी दुनिया की कहानियां लिखकर सुनाया करती थीं।
जब वे एक teenager थी, तब उनकी एक रिश्तेदार ने उन्हें जेसिका मिटफोर्ड की आटोबायोग्राफी “होन्स एंड रेबेल्स” पढने को दी! जे के रोलिंग को वह इतनी अच्छी लगी की मिटफोर्ड उनकी हिरोइन बन गयी और उनकी सारी किताबें रोलिंग ने पढ़ डालीं।
जे. के. रोलिंग के अनुसार, उनके किशोरावस्था के दिन बहुत अच्छे नहीं थे, उनकी माँ बीमार रहती थीं और उनके माता पिता में अकसर झगडा होता रहता था। स्कूल में उनकी उपलब्धि कोई विशेष नहीं थी, केवल वे एक अच्छी स्टूडेंट थी। उन्होंने इंग्लिश, जर्मन और फ्रेंच भाषाओँ में A लेवल से परीक्षा पास की।
इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा दी, परन्तु उन्हें प्रवेश नहीं मिला, इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्सीटर से फ्रेंच और क्लासिक्स में BA किया ।
ग्रेजुएशन के बाद जे के रोलिंग ने एमनेस्टी इंटरनेशनल, और चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स में छोटी जॉब्स कीं। एक दिन जब वे मेनचेस्टर से लन्दन आ रही थीं तो उनकी ट्रेन चार घंटे लेट हो गयी, इसी सफ़र के दोरान उन्हें एक लड़के की कहानी, जो जादुई स्कूल में पढने जा रहा है, लिखने का आयडिया आया!!!
1982 मै रोवलिंग ने Oxford University मै Entrance के लिए exam दिया लेकिन वहाँ उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया और इसीलिए मजबूरन उन्हें University of Exeter से पढाई पूरी करनी पड़ी । इस यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने Amnesty International कंपनी मै सेक्रेटरी के तौर पर काम किया और फिर उन्होंने मेनचेस्टर मै रहकर चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स मै काम किया । जब वो मेनचेस्टर से लन्दन आने के लिए ट्रेन से सफ़र कर रही थी तो उनके मन मै जादूगरी के स्कूल मै पढने वाला यंग बॉय की कहानी आई । उसे उन्होंने अपने मन मै पूरी तरह से गढ़ लिया और लंडन मै अपने कैंपस पहुची तो उन्होंने तुरंत लिखना शुरू कर दिया । और उसके कुछ दिनों बाद उनके माँ की मृत्यु हो गई, रोवलिंग की माँ उनके सबसे करीबी थी । उसका प्रभाव उनके लेखन पर भी पड़ा । वह दुखी रहने लगी लेकिन आगे चलके अपने गम को भुलाने के लिये लेखन का सहारा लिया और अपना समय लिखने मै बिताने लगी । कुछ दिनों बाद जॉब की वजह से वो पोर्तुगाल चली गई जहाँ उन्हें इंग्लिश पढ़ाने का काम मिला । वो रात मै जॉब करती और दिन मै लेखन का काम करती ।
पोर्तुगाल मै उनकी मुलाकात हुई journalist Jorge Arantes ( jk rowling husband ) से, दोनों के विचार आपस मै काफी मिलते जुलते थे और इसीलिए दोनोने 16 अक्टूबर 1992 को शादी कर ली । उनकी बेटी हुई उसका नाम उन्होंने जेसिका ( jk rowling daughter ) रखा । लेकिन बादमे रोवलिंग ने 17 नवम्बर 1993 को तलाख ले लिया । उसके बाद रोवलिंग अपने बच्ची के साथ अपनी बहेन के वहाँ स्कॉटलैंड रहने गई । तब तक रोवलिंग ने हैरी पॉटर के 3 चैप्टर लिख चुकी थी ।

‘Harry Potter’ का Idea
एक बार मेनचेस्टर से लंदन के सफ़र के दौरान ‘Harry Potter” की कहानी उनके दिमाग में आई. वह तुरंत ही इसे कागज पर उतार लेना चाहती थी, किंतु उस समय उनके पास पेन नहीं थी. वह इतनी संकोची हुआ करती थी कि आस-पास के किसी व्यक्ति से एक पेन भी नहीं मांग सकी. सफ़र पूरा कर घर पहुँचकर सबसे पहला काम उन्होंने इस कहानी को लिखने का किया. हालांकि, वे बचपन से ही कहानियां लिखा करती थी, किंतु ‘Harry Potter” की कहानी उनके दिमाग में बस गई थी. उनसे बाद जब भी समय मिलता, वे इस कहानी पर काम किया करती थी.
हैरी पॉटर के बाद
हालाँकि हैरी पॉटर श्रृंखला खत्म हो चुकी है पर रोलिंग अभी अन्य लेखन कार्यो में काम कर रही है।'द टेल्स ऑफ़ बीडल द बार्ड'- पांच कल्पित कथाओ का संग्रह जिसका उल्लेख हैरी पॉटर में किया गया था, उसका सर्व प्रथम प्रदर्शन एडिनबुर्ग में स्कॉटलैंड के राजकीय पुस्तकालय में २०० स्कूल विद्यार्थियो के समक्ष हुआ[6]। रोलिंग ने पुस्तक की सारी कमाई ‘चिल्ड्रन हाई लेवल ग्रुप’ संस्था को दे दी जिसकी वो सह संस्थापक थी। २०१३ में रोलिंग ने अपराध परि कल्पना की रचना शैली में लिखने का प्रयास किया परन्तु वो अपने में ही बहुत रहस्य पूर्ण थी। उसी वर्ष रोलिंग ने 'वार्नर ब्रोस' के साथ एक नयी फ़िल्म निकालने की घोषणा की जो हैरी पॉटर से प्रभावित तो होगी परन्तु उसका भाग नहीं। उन्होंने अपनी वेब साइट पे घोषित किया की वे हैरी पॉटर का विश्व कोश लिखेंगी जिस की सारी कमाई संस्थाओ को जाएँगी।
माँ की मृत्यु और विवाह
रोलिंग की माता स्केलोरोसिस के रोग से ग्रसित थी. लंबी बीमारी के बाद १९९० में उनका निधन हो गया. रोलिंग अपनी माता के बहुत करीब थी. उनका निधन उनके लिए सदमे से कम नहीं था. वह अंदर से टूट गई और इंग्लैंड छोड़कर पुर्तगाल चली गई. वहाँ वे अंग्रेजी पढ़ाने लगी. वहीँ उनकी मुलाकर एक टी.वी. जर्नलिस्ट ‘जॉर्ज अरांटस’ से हुई और दोनो ने विवाह कर लिया. एक वर्ष बाद उनकी बेटी ‘जेसिका’ का जन्म हुआ.
वैवाहिक तनाव और तलाक
वैवाहिक जीवन उनके लिए सुखद नहीं रहा. वह घरेलू हिंसा का शिकार रही. विवाह के मात्र तेरह माह के बाद एक दिन सुबह ५ बजे उनके पति ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया. उनकी बच्ची उस समय एक माह ही थी, जिसे लेकर वे अपनी बहन के घर एडिनबर्ग चली गई. उस समय उनके पास एक सूटकेस और उनके नॉवेल ‘Harry Potter & the Philocopher’s Stone’ की मेनुस्क्रिप्ट के तीन चैप्टर थे.
विवाह टूटने के बाद रोलिंग बहुत तनाव में आ गई. कुछ समय अपनी बहन के साथ रहने के बाद उन्होंने अपने पति के खिलाफ तलाक का केस दायर कर तलाक ले लिया.
पुरस्कार और सम्मान
1997: नेस्ले स्मर्तीएस पुस्तक पुरस्कार, गोल्ड अवार्ड- हैरी पॉटर और पारस पत्थर।
1998: नेस्ले स्मर्तीएस पुस्तक पुरस्कार, गोल्ड अवार्ड- हैरी पॉटर और रहस्य के चैंबर।
1999: नेस्ले स्मर्तीएस पुस्तक पुरस्कार, गोल्ड अवार्ड- हैरी पॉटर और अज़्काबान का क़ैदी।
2000: ब्रिटिश पुस्तक पुरस्कार, यह साल कि लेखक।
2000: लोकस पुरस्कार- हैरी पॉटर और अज़्काबान का क़ैदी।
2001: ह्यूगो पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए- हैरी पॉटर और आग का प्याला।
2006: ब्रिटिश बुक ऑफ़ द इयर- हैरी पॉटर और आधा-ख़ून राजकुमार।
2007: ब्लू पीटर बैज, गोल्ड
2012: फ्रीडम ऑफ़ द सिटी ऑफ़ लंदन
अनमोल वचन
o 1.यदि आप एक आदमी का सही परिमाप देखना चाहते हैं, देखो कि वह अपने कनिष्ट के साथ कैसा व्यवहार करता है न कि बराबरी वाले के साथ.
o 2. यदि आपके पास भरपूर हिम्मत है तो कुछ भी संभव है.
o 3.जो आनेवाला है वह ज़रूर आएगा और हमें सिर्फ इससे मिलना होता है जब यह घटित होता है.
o 4. मैं इस तरह से याद किया जाना चाहती हूँ कि उसके पास जितनी प्रतिभा थी उसने उसके साथ जो सर्वोत्तम किया जा सकता था, किया.
o 5. मैं मानती हूँ कि जबतक आप जीवित हैं, आप काम कर रहे हैं और सीख रहे हैं.
o 6. मैं एक लेखिका हूँ, और मुझे लगता है कि मैं जो चाहूंगी वही लिखूंगी.
o 7. मैं दुनिया में सबसे मुक्त लेखिका हूँ.
o 8.यदि आप किसी चीज से प्यार करते हैं – और मैं भी कई चीजों से प्यार करती हूँ – आप इसके बारे में अधिक से अधिक से अधिक चाहते हैं, लेकिन अच्छा काम करने का यह तरीका नहीं है.
o 9. एक उपन्यास में आपको सब कुछ बताने के लिए आग्रह का विरोध करना पड़ता है.
o 10. मैं अपने पूरे जीवन लिख रही हूँ, और मैं हमेशा लिखती रहूंगी.


CELEBRATING AUTHORS’ BIRTHDAY


CELEBRATING AUTHORS’ BIRTHDAY






J.K. Rowling is the British author who created the popular and critically acclaimed Harry Potter series (seven books published between 1997 and 2007), about a lonely orphan who discovers that he is actually a wizard and enrolls in the Hogwarts School of Witchcraft and Wizardry





Dhanpat Rai Srivastava, better known by his pen name Munshi Premchand, was an Indian writer famous for his modern Hindustani literature. He is one of the most celebrated writers of the Indian subcontinent, and is regarded as one of the foremost Hindi writers of the early twentieth century. Wikipedia Born: 31 July 1880, Lamhi, Varanasi
Died: 8 October 1936, Varanasi
Spouse: Shivarani Devi (m. 1906–1936)
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कथानायक और उपन्यास सम्राट भी कहा जाता है। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गाँव में हुआ था। प्रेमचंद का मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनकी माँ का नाम आनन्दी देवी था और पिता का नाम मुंशी अजायबराय था। उनके पिता लमही में डाकमुंशी थे। पढ़ने का शौक उन्‍हें बचपन से ही था। उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी भाषा से हुआ। अपने पढ़ने के शौक़ के चलते साहित्य मे उनकी रुचि बचपन से ही हो गई। बचपन में ही उन्होने ने देशी विदेशी कई साहित्य की किताबें पढ़ डालीं।
सात साल की उम्र में प्रेमचंद की माँ और चौदह साल की उम्र में उनके पिता की मृत्यु हो जाने के कारण छोटी उम्र में प्रेमचंद को काफी संघर्ष करना पड़ा। उस समय की प्रथा के अनुसार उनकी शादी पंद्रह वर्ष की उम्र में ही हो गई जो की सफल नहीं रही। बाद में उन्होंने दूसरा विवाह शिवरानी देवी से किया जो बाल विधवा थी।
पिता के असमय देहांत के कारण घर परिवार की ज़िम्मेदारी भी बहुत ही कम उम्र में उनके ऊपर आ गई। लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद एक स्कूल में अध्यापक की नौकरी कर ली। पढ़ाने के साथ- साथ ही उन्होंने बीए पास किया और शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हुए। बाद में गांधीजी से प्रेरित होकर उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खुद को देशसेवा और लेखन कार्य में पूरी तरह समर्पित कर दिया।
प्रेमचंद का साहित्यिक जीवन 1901 से ही शुरू हो गया था। पहले वे नाबाब राय के नाम से लिखते थे। 1908 मे प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह सोज़े-वतन अर्थात राष्ट्र का विलाप नाम से प्रकाशित हुआ। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होने के कारण इस पर अंग्रेज़ी सरकार ने रोक लगा दी और इसके लेखक को भविष्‍य में इस तरह का लेखन न करने की चेतावनी दी। इसके बाद धनपत राय, प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे। प्रेमचंद के नाम से उनकी पहली कहानी ज़माना पत्रिका के दिसम्बर 1910 मे प्रकाशित हुई। इस कहानी का नाम बड़े घर की बेटी था।
प्रेम चन्द की रचनाओं में हमे तत्कालीन दलित समाज, औरतों की स्थिति और समाज में व्याप्त विसंगतियाँ का दर्शन प्रत्यक्ष रूप से होता है। प्रेमचंद ने लगभग बारह, उपन्यास तीन सौ के करीब कहानियाँ, कई लेख एवं नाटक लिखे हैं।
प्रेमचंद द्वारा रचित कहानियों में पूस की रात, ईदगाह,बड़े भाई साहब, अलगोझा,गुल्ली डंडा, पंच परमेश्‍वर, दो बैलों की कथा, बूढी काकी, मंत्र, कफन इत्यादि प्रमुख कहानियाँ हैं।
प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यासों में सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, कायाकल्प, गबन, कर्मभूमि, गोदान इत्यादि प्रमुख हैं। उनका अंतिम उपन्यास मंगलसूत्र है जो अपूर्ण है इसी उपन्यास के रचना के दौरान 8 अक्टूबर 1936 को लंबी बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। बाद में उनके पुत्र अमृत राय ने यह उपन्यास पूरा किया।
हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में प्रेमचंद का योगदान अतुलनीय है। बंगाल के प्रमुख उपन्यासकार शरत चंद्रचट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर नए उपनाम से संबोधित किया था। उनके बेटे अमृत राय ने कलम का सिपाही नाम से उनकी जीवनी लिखी है जो उनके जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालती है।


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जे. के. रोलिंग का जन्म 31 जुलाई 1965 येट ग्लोसेस्टरशायर इंग्लैंड में हुआ था, उनके पिता एक एयरक्राफ्ट इंजिनियर और माँ एक विज्ञान तकनीशियन थी। जे. के. रोलिंग की एक ढाई साल छोटी बहन थी जिसे बचपन में वे अकसर मायावी दुनिया की कहानियां लिखकर सुनाया करती थीं।
जब वे एक teenager थी, तब उनकी एक रिश्तेदार ने उन्हें जेसिका मिटफोर्ड की आटोबायोग्राफी “होन्स एंड रेबेल्स” पढने को दी! जे के रोलिंग को वह इतनी अच्छी लगी की मिटफोर्ड उनकी हिरोइन बन गयी और उनकी सारी किताबें रोलिंग ने पढ़ डालीं।
जे. के. रोलिंग के अनुसार, उनके किशोरावस्था के दिन बहुत अच्छे नहीं थे, उनकी माँ बीमार रहती थीं और उनके माता पिता में अकसर झगडा होता रहता था। स्कूल में उनकी उपलब्धि कोई विशेष नहीं थी, केवल वे एक अच्छी स्टूडेंट थी। उन्होंने इंग्लिश, जर्मन और फ्रेंच भाषाओँ में A लेवल से परीक्षा पास की।
इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा दी, परन्तु उन्हें प्रवेश नहीं मिला, इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्सीटर से फ्रेंच और क्लासिक्स में BA किया ।
ग्रेजुएशन के बाद जे के रोलिंग ने एमनेस्टी इंटरनेशनल, और चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स में छोटी जॉब्स कीं। एक दिन जब वे मेनचेस्टर से लन्दन आ रही थीं तो उनकी ट्रेन चार घंटे लेट हो गयी, इसी सफ़र के दोरान उन्हें एक लड़के की कहानी, जो जादुई स्कूल में पढने जा रहा है, लिखने का आयडिया आया!!!
1982 मै रोवलिंग ने Oxford University मै Entrance के लिए exam दिया लेकिन वहाँ उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया और इसीलिए मजबूरन उन्हें University of Exeter से पढाई पूरी करनी पड़ी । इस यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने Amnesty International कंपनी मै सेक्रेटरी के तौर पर काम किया और फिर उन्होंने मेनचेस्टर मै रहकर चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स मै काम किया । जब वो मेनचेस्टर से लन्दन आने के लिए ट्रेन से सफ़र कर रही थी तो उनके मन मै जादूगरी के स्कूल मै पढने वाला यंग बॉय की कहानी आई । उसे उन्होंने अपने मन मै पूरी तरह से गढ़ लिया और लंडन मै अपने कैंपस पहुची तो उन्होंने तुरंत लिखना शुरू कर दिया । और उसके कुछ दिनों बाद उनके माँ की मृत्यु हो गई, रोवलिंग की माँ उनके सबसे करीबी थी । उसका प्रभाव उनके लेखन पर भी पड़ा । वह दुखी रहने लगी लेकिन आगे चलके अपने गम को भुलाने के लिये लेखन का सहारा लिया और अपना समय लिखने मै बिताने लगी । कुछ दिनों बाद जॉब की वजह से वो पोर्तुगाल चली गई जहाँ उन्हें इंग्लिश पढ़ाने का काम मिला । वो रात मै जॉब करती और दिन मै लेखन का काम करती ।
पोर्तुगाल मै उनकी मुलाकात हुई journalist Jorge Arantes ( jk rowling husband ) से, दोनों के विचार आपस मै काफी मिलते जुलते थे और इसीलिए दोनोने 16 अक्टूबर 1992 को शादी कर ली । उनकी बेटी हुई उसका नाम उन्होंने जेसिका ( jk rowling daughter ) रखा । लेकिन बादमे रोवलिंग ने 17 नवम्बर 1993 को तलाख ले लिया । उसके बाद रोवलिंग अपने बच्ची के साथ अपनी बहेन के वहाँ स्कॉटलैंड रहने गई । तब तक रोवलिंग ने हैरी पॉटर के 3 चैप्टर लिख चुकी थी ।

‘Harry Potter’ का Idea
एक बार मेनचेस्टर से लंदन के सफ़र के दौरान ‘Harry Potter” की कहानी उनके दिमाग में आई. वह तुरंत ही इसे कागज पर उतार लेना चाहती थी, किंतु उस समय उनके पास पेन नहीं थी. वह इतनी संकोची हुआ करती थी कि आस-पास के किसी व्यक्ति से एक पेन भी नहीं मांग सकी. सफ़र पूरा कर घर पहुँचकर सबसे पहला काम उन्होंने इस कहानी को लिखने का किया. हालांकि, वे बचपन से ही कहानियां लिखा करती थी, किंतु ‘Harry Potter” की कहानी उनके दिमाग में बस गई थी. उनसे बाद जब भी समय मिलता, वे इस कहानी पर काम किया करती थी.
हैरी पॉटर के बाद
हालाँकि हैरी पॉटर श्रृंखला खत्म हो चुकी है पर रोलिंग अभी अन्य लेखन कार्यो में काम कर रही है।'द टेल्स ऑफ़ बीडल द बार्ड'- पांच कल्पित कथाओ का संग्रह जिसका उल्लेख हैरी पॉटर में किया गया था, उसका सर्व प्रथम प्रदर्शन एडिनबुर्ग में स्कॉटलैंड के राजकीय पुस्तकालय में २०० स्कूल विद्यार्थियो के समक्ष हुआ[6]। रोलिंग ने पुस्तक की सारी कमाई ‘चिल्ड्रन हाई लेवल ग्रुप’ संस्था को दे दी जिसकी वो सह संस्थापक थी। २०१३ में रोलिंग ने अपराध परि कल्पना की रचना शैली में लिखने का प्रयास किया परन्तु वो अपने में ही बहुत रहस्य पूर्ण थी। उसी वर्ष रोलिंग ने 'वार्नर ब्रोस' के साथ एक नयी फ़िल्म निकालने की घोषणा की जो हैरी पॉटर से प्रभावित तो होगी परन्तु उसका भाग नहीं। उन्होंने अपनी वेब साइट पे घोषित किया की वे हैरी पॉटर का विश्व कोश लिखेंगी जिस की सारी कमाई संस्थाओ को जाएँगी।
माँ की मृत्यु और विवाह
रोलिंग की माता स्केलोरोसिस के रोग से ग्रसित थी. लंबी बीमारी के बाद १९९० में उनका निधन हो गया. रोलिंग अपनी माता के बहुत करीब थी. उनका निधन उनके लिए सदमे से कम नहीं था. वह अंदर से टूट गई और इंग्लैंड छोड़कर पुर्तगाल चली गई. वहाँ वे अंग्रेजी पढ़ाने लगी. वहीँ उनकी मुलाकर एक टी.वी. जर्नलिस्ट ‘जॉर्ज अरांटस’ से हुई और दोनो ने विवाह कर लिया. एक वर्ष बाद उनकी बेटी ‘जेसिका’ का जन्म हुआ.
वैवाहिक तनाव और तलाक
वैवाहिक जीवन उनके लिए सुखद नहीं रहा. वह घरेलू हिंसा का शिकार रही. विवाह के मात्र तेरह माह के बाद एक दिन सुबह ५ बजे उनके पति ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया. उनकी बच्ची उस समय एक माह ही थी, जिसे लेकर वे अपनी बहन के घर एडिनबर्ग चली गई. उस समय उनके पास एक सूटकेस और उनके नॉवेल ‘Harry Potter & the Philocopher’s Stone’ की मेनुस्क्रिप्ट के तीन चैप्टर थे.
विवाह टूटने के बाद रोलिंग बहुत तनाव में आ गई. कुछ समय अपनी बहन के साथ रहने के बाद उन्होंने अपने पति के खिलाफ तलाक का केस दायर कर तलाक ले लिया.
पुरस्कार और सम्मान
1997: नेस्ले स्मर्तीएस पुस्तक पुरस्कार, गोल्ड अवार्ड- हैरी पॉटर और पारस पत्थर।
1998: नेस्ले स्मर्तीएस पुस्तक पुरस्कार, गोल्ड अवार्ड- हैरी पॉटर और रहस्य के चैंबर।
1999: नेस्ले स्मर्तीएस पुस्तक पुरस्कार, गोल्ड अवार्ड- हैरी पॉटर और अज़्काबान का क़ैदी।
2000: ब्रिटिश पुस्तक पुरस्कार, यह साल कि लेखक।
2000: लोकस पुरस्कार- हैरी पॉटर और अज़्काबान का क़ैदी।
2001: ह्यूगो पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए- हैरी पॉटर और आग का प्याला।
2006: ब्रिटिश बुक ऑफ़ द इयर- हैरी पॉटर और आधा-ख़ून राजकुमार।
2007: ब्लू पीटर बैज, गोल्ड
2012: फ्रीडम ऑफ़ द सिटी ऑफ़ लंदन
अनमोल वचन
o 1.यदि आप एक आदमी का सही परिमाप देखना चाहते हैं, देखो कि वह अपने कनिष्ट के साथ कैसा व्यवहार करता है न कि बराबरी वाले के साथ.
o 2. यदि आपके पास भरपूर हिम्मत है तो कुछ भी संभव है.
o 3.जो आनेवाला है वह ज़रूर आएगा और हमें सिर्फ इससे मिलना होता है जब यह घटित होता है.
o 4. मैं इस तरह से याद किया जाना चाहती हूँ कि उसके पास जितनी प्रतिभा थी उसने उसके साथ जो सर्वोत्तम किया जा सकता था, किया.
o 5. मैं मानती हूँ कि जबतक आप जीवित हैं, आप काम कर रहे हैं और सीख रहे हैं.
o 6. मैं एक लेखिका हूँ, और मुझे लगता है कि मैं जो चाहूंगी वही लिखूंगी.
o 7. मैं दुनिया में सबसे मुक्त लेखिका हूँ.
o 8.यदि आप किसी चीज से प्यार करते हैं – और मैं भी कई चीजों से प्यार करती हूँ – आप इसके बारे में अधिक से अधिक से अधिक चाहते हैं, लेकिन अच्छा काम करने का यह तरीका नहीं है.
o 9. एक उपन्यास में आपको सब कुछ बताने के लिए आग्रह का विरोध करना पड़ता है.
o 10. मैं अपने पूरे जीवन लिख रही हूँ, और मैं हमेशा लिखती रहूंगी.

Monday, July 26, 2021

MS. MIRABAI CHANU


 

EVERYTHING, YOU NEED TO KNOW 

ABOUT 

MS. MIRABAI CHANU



        India has won its first medal at the Tokyo Olympics. And it's courtesy India's star weightlifter Mirabai Chanu, who has won the silver in the women's 49kg category.

    This is India's second weightlifting medal at the Olympics overall, after Karnam Malleswari, who won the bronze at the 2000 Sydney Olympics. Mirabai, with this has also become overall the 17th individual Olympic medallist from India (from 1900 to 2021).



Name: Mirabai Chanu (Weightlifting)

Date of Birth: August 8, 1994

Age: 26

Birth Place: Imphal, Manipur

Sport/Event(s): Weightlifting (49 KG)

Major achievements:
  • Silver in Tokyo Olympics 2020 (49kg)
  • Bronze in 2020 Tashkent Asian Championships (49 kg)
  • Gold in 2018 Gold Coast Commonwealth Games (48 kg)
  • Gold in 2017 Anaheim World Championships (48 kg)
  • Silver in 2014 Glasgow Commonwealth Games (48 kg)

(MUST WATCH: GLIMPSE OF HER GAME)


Sunday, July 25, 2021

MS. MIRABAI CHANU


 

EVERYTHING, YOU NEED TO KNOW 

ABOUT 

MS. MIRABAI CHANU



        India has won its first medal at the Tokyo Olympics. And it's courtesy India's star weightlifter Mirabai Chanu, who has won the silver in the women's 49kg category.

    This is India's second weightlifting medal at the Olympics overall, after Karnam Malleswari, who won the bronze at the 2000 Sydney Olympics. Mirabai, with this has also become overall the 17th individual Olympic medallist from India (from 1900 to 2021).



Name: Mirabai Chanu (Weightlifting)

Date of Birth: August 8, 1994

Age: 26

Birth Place: Imphal, Manipur

Sport/Event(s): Weightlifting (49 KG)

Major achievements:
  • Silver in Tokyo Olympics 2020 (49kg)
  • Bronze in 2020 Tashkent Asian Championships (49 kg)
  • Gold in 2018 Gold Coast Commonwealth Games (48 kg)
  • Gold in 2017 Anaheim World Championships (48 kg)
  • Silver in 2014 Glasgow Commonwealth Games (48 kg)

(MUST WATCH: GLIMPSE OF HER GAME)


Tuesday, July 20, 2021

Glimpse of Reading week, Reading Month-2021


Celebration of National Reading Day, Reading week and Reading Month 2021 /--





The following Activities and Competitionshad had been organised during the National Reading Day, Reading week and Reading Month 2021 : click on tab below






Harshitha Shree.S III A


B.SUBIKSHA VI-c


AKSHAY SELVAM A.K 4-C


Nethra.K II C


MITHRA SANA B V 2 A


Ansika Padoni.B VI A


S SIVA BAALAN 5 - B


S PONNILAVAN 2-C


M.Logasri 5c


S SIVA BAALAN 5 B


S PONNILAVAN 5 B


J.Fathima 9-A


Siddharth Sivasubramaniyam II A


S SIVA BAALAN 5 B


S PONNLAVAN 2 C


Harshitha Shree.S III A


V.BMADHUVARSHAN 3 rd A


D DHANESH 10 A


MITHRA SANA B V 2 A


T A jothishmathi 8 b


Ansika padoni.B VI A


AKSHAY SELVAM.A.K 4-C


AKSHAY SELVAM.A.K 4-C


B.Susmetha VllA


ATHULYA T 4 A


Navami V S 6 B


S. S. Gopika 5-A


R.Thaaranny 5 A


N.Sivakavisri 5th A


AKSHAY SELVAM.A.K 4 C


A Abdur Rahman V B


S.M.Dhanyasri 3-c


J Janani 6 A


K S Sanjana 3th A


J.FATHIMA 9-A


Siddharth Sivasubramaniyam II A


AKSHAY SELVAM.A.K 4 C


Pradakshina. R 6th class


Hemavathi. R 2rd class A


Lakshanraj R 2 - B


N.Sivakavisri 5


B.SUBIKSHA VI-C


S.M.Dhanyasri 3_c


S. S. Gopik 4 A


NAVAMI V S 6 B


S.Twishaa 2nd A


S.Rithesh 8 A


A. Abdur Rahman V - B


MITHRA SANA B V 2 A


AKSHAY SELVAM.A.K 4-C


Pradakshina. R 6th A section


Hemavathi. R 2 A


S.S.Gopika 4 A


HARISH KUMAR I 8 B


P. Lithyashiva VI B


B.SUBIKSHA VI-C


S.B.Jaiakassh 10th A


R S. Mithul Raamshaanth VI - A


R.S. Tris Raamshanth 3 - C


Siddharth Sivasubramaniyam II A


R.S.Mithul Raamshaanth VI - A


Bharani Vel E 6.B


B Susmetha 7A


S.B.ABBHINAV VII B


S.Rithesh 9 A


S.B.Jaiakassh 10th


Janani J 6A


Samridhhi Yadav II B


K.J.KEERTHANYA CLASS 6 C


Siddharth Sivasubramaniyam CLASSIIA


G bavashri CLASS 2 c


K.J.HARSHITHA VIII - B


YASHWANTH K II A


Siddharth Sivasubramaniyam II A


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Sunday, July 11, 2021

A BEAUTIFUL SONG BY SOME KV STUDENTS...स्कूल जाना है .....


 


 A BEAUTIFUL SONG BY SOME KENDRIYA VIDYALAYA STUDENTS

Must listen for all.... स्कूल जाना है ......


    

Music production @ musitorium records
Vocalist: Tashmeen Kaur, Karuna Hans and Shakshi Gandhi Child Artists: Anvi Sharma, Jessica, Vaaruni Gupta and Sharuya Sharma Mixing and mastering by Voice Vision Studios (Australia) Video Editing by Raj Kumar

Note: This song is posted on this blog page to circulate it to the more and more people.