World book and copyright day:
जानिए विश्व पुस्तक और प्रकाशानिधाकर दिवस का इतिहास, महत्व एवं अन्य महत्वपूर्ण बातें
विश्व पुस्तक दिवस का इतिहास
1995 में पहली बार विश्व पुस्तक और प्रकाशनाधिकार दिवस मनाने की तारीख यूनेस्को द्वारा तय की गई। यूनेस्को द्वारा 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक और प्रकाशनाधिकार दिवस मनाने का निर्णय लिया गया क्योंकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, इसी दिन विलियम शेक्सपियर, व्लादिमीर नबोकोव, मैमुएल सेजिया वैलेजो का जन्म और मृत्यु वर्षगाँठ, मीगुअल डी सरवेंटस, जोसेफ प्ला, इंका गारसीलासो डी ला वेगा की मृत्यु वर्षगाँठ और मैनुअल वैलेजो, मॉरिस द्रुओन और हॉलडोर लैक्सनेस की जन्म वर्षगाँठ होती है।
पुस्तक दिवस मनाने का कारण
पुस्तकें ज्ञानवर्धन तो करती हैं, साथ ही साथ वे हमारा मनोरंजन भी करती हैं लेकिन जब से मनोरंजन के अन्य साधन बढ़ गए तब से लोग किताब पढ़ना कम कर चुके हैं। किताबें हमारी विरासत का खजाना है। पाठकों को अधिक से अधिक अच्छी किताबें पढ़ने के लिए और ज्ञान हासिल करने के लिए पुस्तक दिवस मनाया जाता है। विश्व में कई सारे लोग हैं, जिनकी पहुंच में पुस्तकें नहीं हैं, ऐसे लोगों तक यह सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से भी इस दिन को मनाया जाता है।
ऐसे मनाया जाता है विश्व पुस्तक दिवस
विश्व पुस्तक दिवसों पर अच्छी किताब लिखने वाले लोगों को सम्मानित किया जाता है। समाज को ज्ञान देने के लिए, मानव के विकास के लिए यह सम्मान दिया जाता है। प्रकाशकों को भी पुरस्कार दिया जाता है। जगह-जगह पर पुस्तक विमोचन समारोह भी होते हैं। साहित्य समितिओं में पुस्तकों पर विचार- विमर्श होता है। लोग एक-दूजे को अच्छी किताबें भेंट करते हैं और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
पुस्तकों से जुड़े प्रसिद्ध कथन
-“अगर किसी को एक किताब बार-बार पढ़ना खुशी नहीं दे सकता तो, उसको पूरा पढ़ने का कोई उपयोग नहीं है।”- ऑस्कर विल्डे
-“एक किताब दुनिया है, वो यात्रा नहीं करता जो केवल एक पन्ना पढ़ता है।”- सेंट ऑगस्टाईन
-“एक किताब को खत्म करना एक अच्छे दोस्त को छोड़ने के सामान है।”- विलियम फीदर
-“भोजन करना भूल जाईये अगर आपको करना है, लेकिन एक किताब को मत भूलिये।”- जिम रॉन
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