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“एक अच्छी किताब का कोई अंत नहीं होता।”     “किताब ही व्यक्ति के जीवन का आधार हैं।”

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Saturday, February 27, 2021

NATIONAL SCIENCE DAY 2021




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EXAMPLE: HARISH KUMAR, VIIA(other then this format will be treated as invalid entry)




28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है 

विज्ञान की मदद से इंसानों ने कई तरह की खोज कर, अपने जीवन को ओर बेहतर बना लिया है. विज्ञान के जरिए ही आज हम लोगों ने नई तरह की तकनीकों का आविष्कार किया है. वहीं हर रोज ना जाने हम विज्ञान की मदद से बनाई गई कितनी तकनीकों और चीजों का इस्तेमाल करते हैं. इतना हीं नहीं इसके जरिए ही हम लोग नामुकिन चीजों को मुमकिन बनाने में कामयाबी भी रहे हैं. विज्ञान की मदद से ही हम अंतरिक्ष में पहुंचने से लेकर रोबोट, कंप्यूटर जैसी चीजे बनाने में सफल हो पाए हैं. ऐसे में विज्ञान हमारे जीवन में काफी महत्वरखता है और हर स्कूल में इस विषय को बच्चों को पढ़ाया जाता है. वहीं भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी योगदान दिया है. भारत की धरती पर कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है और इन महान वैज्ञानिकों की बदलौत ही भारत ने विश्व भर में विज्ञान के क्षेत्र में अपना एक अलग ही औदा बनाया हुआ है.  


भारत में विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है 
28 फरवरी
आज से कई वर्ष पूर्व 28 फरवरी के दिन भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर रमन सिंह के द्वारा रमन प्रभाव की खोज की गई थी, इस दिन को एक यादगार बनाने के लिए 28 फरवरी को हर वर्ष विज्ञान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई, और तब से लेकर अब तक 28 फरवरी को हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते आ रहे है. 

 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है 

28 फरवरी 1928 का दिन भारतीय इतिहास में एक महान दिन था, क्योंकि इसी दिन राष्ट्रीय वैज्ञानी डॉक्टर चंद्रशेखर रमन द्वारा एक विशेष आविष्कार किया गया था. वे एक तमिल ब्राह्मण थे और ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होने भारत में कोई शोध कार्य किया था. इन्होने सन 1907 से लेकर 1933 तक इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टीवेशन ऑफ साइन्स, कोलकाता पश्चिम बंगाल में काम किया. इस समय में इन्होने कई विषयों पर शोध कार्य किया.  जिसमें इनकी रमन प्रभाव नामक खोज एक विशेष खोज बन गई.  उनके इस प्रयास के लिए उन्हे विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया और साल 1930 में उन्हे नोबल पुरुस्कार भी दिया गया. उनके इस प्रयास को भविष्य में हमेशा याद रखने के लिए वर्ष 1986 में नेशनल काउंसिल फॉर साइन्स एंड टेक्नालजी कम्युनिकेशन द्वारा 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में घोषित करने के लिए कहां गया था. तब से भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में 28 फरवरी को बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है. इस दिन को भारत के वैज्ञानिक, शैक्षणिक, चिकित्सा, तकनीकी और अनुसंधान संस्थानों सहित सभी स्कूलों, कॉलेजों, और शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों, शिक्षकों, वैज्ञानिको और शोधकर्ताओ द्वारा मनाया जाता है. 


राष्ट्रीय विज्ञान दिवसके उद्देश्य 

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच में विज्ञान के प्रति ओर जागरूकता पैदा करना है. इतना ही नहीं इस दिवस के जरिए बच्चों को विज्ञान को बतौर अपने करियर को चुनने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है. ताकि हमारे देश की आनेवाली पीढ़ी विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दे सके और हमारे देश की ओर तरक्की हो सके. 

इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित करने का एक मुख्य मकसद रमन प्रभाव और डॉक्टर चंद्रशेखर रमन को सम्मान देना तो था, ही इसके अलावा भी इसके कई अन्य उद्देश्य थे जो इस प्रकार है.


* हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों कि महत्ता बताना भी इस दिन को मनाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है |
*मानव कल्याण और प्रगति के लिए वैज्ञानिक क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करना भी इस दिन को मनाने के उद्देश्यों में शामिल है. |
*विज्ञान और वैज्ञानिक विकास के लिए इसी दिन सभी मुद्दो पर चर्चा की जाती है और इसी दिन नई तकनिको को लागू भी किया जाता है. |

*देश में कई ऐसे लोग है, जो वैज्ञानिक सोच रखते है, इन लोगो को मौका देना और इन्हे अपने काम के लिए प्रोत्साहित करना भी इस दिवस को मनाने का एक उद्देश्य है. |

 राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की घोषणा कब की गई

 इस साल भी हम 28 फरवरी के दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाएंगे.  चुकी इस दिवस की घोषणा साल 1986 में हुई थी और इसे पहली बार साल 1987 में मनाया गया था, इसलिए इस साल यह 31 स्वा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस होगा, जिसे हम गर्व से मनाएंगे. इस साल इस दिन की थीम “विज्ञान लोगों के लिए और लोग विज्ञान के लिए” (Science for People and People for Science) होगी. 


 किस तरह से मनाया जाता है ये दिवस(National Science Day Activities) 


भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा इस दिन को विशेष बनाने के लिए कई तरह की तैयारियां की जाती हैं. वहीं भारत के स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन पर कई तरह के कार्यक्रमों, बच्चों द्वारा विज्ञान प्रोजेक्ट, प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है और इन कार्यक्रमों में बच्चे बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. इतना ही नहीं बच्चों को विज्ञान विषय को लेकर जानकारी दी जाती है, ताकि बच्चे इस विषय में अपना करियर बना सकें. वहीं रेडियो और टीवी पर इस दिन कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इन कार्यक्रमों में विज्ञान को लेकर चर्चा की जाती है. इसके अलावा विज्ञान से जुड़े कॉलेजों में वैज्ञानिकों को भी बुलाया जाता है, ताकि वो कॉलेज के छात्रों के साथ अपना अनुभाव साझा कर सकें|

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का थीम (विषय)

  • वर्ष 1999 का विषय था “हमारी बदलती धरती”।
  • वर्ष 2000 का विषय था “मूल विज्ञान में रुचि उत्पन्न करना”।
  • वर्ष 2001 का विषय था “विज्ञान शिक्षा के लिये सूचना तकनीक”।
  • वर्ष 2002 का विषय था “पश्चिम से धन”।
  • वर्ष 2003 का विषय था “जीवन की रुपरेखा- 50 साल का डीएनए और 25 वर्ष का आईवीएफ”।
  • वर्ष 2004 का विषय था “समुदाय में वैज्ञानिक जागरुकता को बढ़ावा देना”।
  • वर्ष 2005 का विषय था “भौतिकी को मनाना”।
  • वर्ष 2006 का विषय था “हमारे भविष्य के लिये प्रकृति की परवरिश करें”।
  • वर्ष 2007 का विषय था “प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल”।
  • वर्ष 2008 का विषय था “पृथ्वी ग्रह को समझना”।
  • वर्ष 2009 का विषय था “विज्ञान की सीमा को बढ़ाना”।
  • वर्ष 2010 का विषय था “दीर्घकालिक विकास के लिये लैंगिक समानता, विज्ञान और तकनीक”।
  • वर्ष 2011 का विषय था “दैनिक जीवन में रसायन”।
  • वर्ष 2012 का विषय था “स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा”।
  • वर्ष 2013 का विषय था “अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा”।
  • वर्ष 2014 का विषय था “वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना”।
  • वर्ष 2015 का विषय था “राष्ट्र निर्माण के लिये विज्ञान”।
  • वर्ष 2016 का विषय देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के लक्ष्य के लिए होगा।
  • वर्ष 2017 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम "विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकलांग व्यक्तियों के लिए है" था।
  • वर्ष 2018 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम "एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी" था।
  • वर्ष 2019 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम "लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिये लोग (सांइस फार द पीपल एंड पीपल फार साइंस" था।
  • वर्ष 2020 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “वुमन इन साइन्स” था।
  • वर्ष 2021 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “एसटीआई का भविष्य: शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव (Future of STI: Impacts on Education, Skills and Work)” है।

 


Design a Logo for Celebrating Bharat ka अमृत महोत्सव


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Hon’ble Prime Minister Shri Narendra Modi has often shared his vision of building a new, AatmaNirbhar Bharat by the year 2022.

You may be aware that our great nation is now just 75 weeks away from the 75th Anniversary of Indian Independence (Bharat ka Amrut Mahotsav). To commemorate the monumental occasion, MyGov is launching a logo design contest.

How do you envision the India of tomorrow, the India which will merge the best of tradition with the most modern, global outlook?
So, pick up your art supplies and your graphing tablets, and turn on the creative assets in your head to dive into making a significant change by creating a logo around the following themes:
• Governance
• Development
• Technology
• Reform
• Progress & Policy over the years
• Any Other

The entries can be digital submissions and should be designed in colour.

Prizes for participants:
• First prize for the winner: Rs 1 lakh
• Second prize for runner up: Rs 50,000/-
• Third prize for Second runner up: Rs 25,000/-

MyGov is a citizen engagement platform and has always been instrumental in engaging citizens of the country and seek their opinion to frame policies and shape various Government schemes and programs. Citizens have been able to contribute their ideas to core policy issues, make suggestions, give feedback, and participate in the governance process at large through logo contest, discussions, tasks, polls, talks, etc.

The last date of submission is 28th February 2021

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Sunday, February 21, 2021

Celebration of World Thinking Day (Scout & Guide Foundation Day) 2021





 Celebration of World Thinking Day (Scout & Guide Foundation Day) 2021





स्काउट एंड गाइड का इतिहास History of Scout and Guide

स्काउट एवं गाइड आंदोलन वर्ष 1908 में ब्रिटेन में सर बेडेन पॉवेल द्वारा आरम्भ किया गया। धीरे-धीरे यह आंदोलन हर एक सुसंगठित राष्ट्र में फैलने लगा, जिसमे भारत भी शामिल था। 


भारत में स्काउटिंग की शुरुआत वर्ष 1909 में हुई, तथा आगे चलकर भारत वर्ष 1938 में स्काउट आंदोलन के विश्व संगठन का सदस्य भी बना। वर्ष 1911 में भारत में गाइडिंग की शुरुआत हुई, तथा 1928 में स्थापित गर्ल गाइड्स तथा गर्ल स्काउट्स के विश्व संगठन में भारत ने एक संस्थापक सदस्य की भूमिका निभाई। 


भारतवासियों के लिए स्काउटिंग की शुरूआत न्यायाधीश विवियन बोस, पंडित मदन मोहन मालवीय, पंडित हृदयनाथ कुंजरू, गिरिजा शंकर बाजपेई, एनी बेसेंट तथा जॉर्ज अरुंडाले के प्रयासों से वर्ष 1913 में हुई। 


भारत में ‘भारत स्काउट्स एंड गाइड्स (बी.एस.जी.)’ राष्ट्रीय स्काउटिंग एवं गाइडिंग संगठन है। इसकी स्थापना 7 नवम्बर, 1950 को स्वतंत्र भारत में जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद तथा मंगल दास पकवासा के द्वारा की गई।


इसमें ब्रिटिश भारत में मौजूद सभी स्काउट एवं गाइड संगठनों को सम्मिलित किया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके एक वर्ष पश्चात् 15 अगस्त, 1951 को आल इंडिया गर्ल गाइड्स एसोसिएशन को भी भारत स्काउट्स एंड गाइड्स संगठन में शामिल कर लिया गया।


विश्व स्काउट संगठन में वर्ष 1947 से 1949 तक अपने अहम योगदान के लिए विवियन बोस जी को विशेष तौर पर याद किया जाता है। वर्ष 1969 में विश्व स्काउटिंग में अद्वितीय सेवा के लिए श्रीमती लक्ष्मी मजूमदार को विश्व स्काउटिंग द्वारा ‘ब्रॉन्ज़-वोल्फ’ सम्मान से सम्मानित किया गया था।


स्काउट एंड गाइड क्या है ? What is Scout and Guide ?

स्काउट्स एवं गाइड्स एक स्वयंसेवी, गैर-राजनीतिक, शैक्षिक आंदोलन है, जो हर एक नव जवान को मानवता की सेवा करने का मौका प्रदान करता है, बिना किसी भी तरह के रंग, मूल अथवा जाति भेद के। यह आंदोलन अपने लक्ष्यों, सिद्धांतों एवं विधियों के आधार पर कार्य करताज है, जिन्हें इसके संस्थापक लार्ड बेडेन पॉवेल द्वारा 1907 में बनाया गया था।


स्काउट एंड गाइड का उद्देश्य Aim of Scout and Guide in Hindi

इस आंदोलन का उद्देश्य नवयुवकों की पूर्ण शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक क्षमताओं का विकास करना है, जिससे कि वे एक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी क्षमताओं के द्वारा स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर योगदान कर सकें।


स्काउट/ गाइड आंदोलन निम्न कुछ प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है –


i) ईश्वर के प्रति कर्तव्य:- आध्यात्मिक नियमों का पालन करना, अपने धर्म के प्रति निष्ठावान रहना तथा अपने ईश्वर द्वारा प्रदत्त कर्तव्यों एवं ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करना।


ii) अन्य लोगों के प्रति कर्तव्य:- •अपने राष्ट्र के प्रति निष्ठावान रहते हुए, स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति, समझ एवं आपसी सहयोग की प्रोत्साहित करना।


iii) स्वयं के प्रति कर्तव्य:- स्वयं के विकास की ज़िम्मेदारी को निभाना।


विधियां Methods

स्काउट/गाइड पद्धति प्रगतिशील स्वयं शिक्षा प्रणाली है, यद्यपि –


यह एक वचन तथा कानून भी है।

यह कर के सीखने में विश्वास रखता है।

किसी वयस्क के नेतृत्व में छोटे समूहों की सदस्यता।

प्रतिभागियों की रूचि के अनुसार विभिन्न प्रगतिशील एवं प्रेरणादायक कार्यक्रमों का आयोजन।

स्काउट एंड गाइड नियम Laws of Scout and Guide

स्काउट एंड गाइड के कुछ मुख्य कानून व नियम –


एक स्काउट/ गाइड विश्वसनीय होता है।

एक स्काउट/ गाइड निष्ठावान होता है।

एक स्काउट/ गाइड सभी का मित्र तथा अन्य स्काउट/गाइड्स का भाई अथवा बहन होता है।

एक स्काउट/ गाइड विनम्र होता है।

एक स्काउट/ गाइड पशुओं का मित्र तथा प्रकृति-प्रेमी होता है।

एक स्काउट/ गाइड निडर होता है।

एक स्काउट/ गाइड मितव्ययी होता है।

एक स्काउट/ गाइड अपने शब्दों एवं कार्यों से विशुद्ध होता है।

स्काउटिंग मोटो (सिद्धांत): “बी प्रिपेयर्ड (तैयार रहो)”


स्काउट एंड गाइड के वचन

“अपने सम्मान को साक्षी बनाकर, मैं यह वचन देता हूँ कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा,


अपने ईश्वर तथा राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाने में,


अन्य व्यक्तियों की सहायता करने में तथा


स्काउट नियमों का पालन करने में।”


स्काउट एंड गाइड का ध्वज Flag of Scout and Guide

स्काउट के ध्वज में प्रतीक के रूप में चक्र है जिसमे 24 तीलियाँ है। इसे अशोक चक्र कहा जाता है, क्योंकि यह चक्र सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। ध्वज के पार्श्व पर भगवा तथा हरा रंग होता है।


आमतौर पर “स्काउट्स एंड गाइड्स” शब्द में बालक तथा बालिकाओं दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। इसके अलावा इन्हें ” कब्स एंड बुलबुल” तथा ” रोवर्स एंड रेंजर्स” भी कहा जाता है। 


स्काउट एंड गाइड से कैसे जुड़ें? How Join Scouts and Guides ?

स्काउट एवं गाइड ज्वाइन करने के लिए निम्न दो तरीके हैं-


अगर आप किसी विद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, तो आपको अपने विद्यालय के ऑफिस में सीधे जाकर उनसे कहना होगा कि आप स्काउट्स एंड गाइड्स ज्वाइन करने के इच्छुक हैं तथा इसमें आपको शामिल किया जाये।

और अगर आप किसी विद्यालय में नही हैं, तो इसे ज्वाइन करने के लिए स्काउट्स के रेलवे डिवीज़न में जाकर उन्हें इस बारे में सूचित करना होगा। जिसके बाद वो आपको इसमें शामिल करने पर विचार- विमर्श तथा वार्ता करेंगे।

इसके अलावा एक सबसे अहम बात जो आपको पता होनी चाहिए कि आप स्काउट्स एंड गाइड्स क्यों ज्वाइन करने के इच्छुक हैं? तथा हर वर्ष के अंत तक वे ऐसे कौन- कौन से लक्ष्य होंगे, जिन्हें आप हर हाल में पूरा करना चाहते हैं, एकल रूप से, तथा एक समूह के तौर पर?

स्काउट्स एंड गाइड्स सर्टिफिकेट आपके करियर में क्या भूमिका निभा सकते हैं? How can scout and guide certificate help you with your career ?

स्काउट्स एंड गाइड्स में राष्ट्रपति तथा राज्य पुरस्कार सर्टिफिकेट से सीधे तौर पर जॉब की प्राप्ति नही हो सकती। परंतु ये सर्टिफिकेट आपके बायोडाटा के साथ संलग्न होने पर आपके जॉब पाने की सम्भावना को, बिना सर्टिफिकेट वाले लोगों से, कहीं अधिक बढ़ा देते हैं।


इंटरव्यू के वक़्त स्काउट गाइड प्रशिक्षण में मिले अनुभव आपको अपने प्रतिद्वंदियों से हमेशा दो कदम आगे रखते हैं। इसके अलावा भारतीय रेलवे में जॉब के लिए स्काउट्स/गाइड्स आरक्षण का भी प्रावधान है।


कुल मिलाकर आपको अपनी स्काउट/गाइड में मिले उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए। ये अनुभव प्रत्यक्ष रूप में तो न सही, परंतु अप्रत्यक्ष रूप में आपके आगामी जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रपति तथा राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित तथा स्टाम्पड सर्टिफिकेट बहुत अधिक महत्ता रखते हैं।



International Mother Language Day 2021



 International Mother Language Day 2021 माना जाता है कि एक बच्चा जब कोई कहानी सुनाता है, तो इससे उसकी अभिव्यक्ति क्षमता भी मजबूत होती है। वह अपने विचारों को अच्छी तरह से पेश कर दूसरों पर प्रभाव डाल सकता है। अच्छी बात यह है कि तमाम बच्चे-किशोर अंग्रेजी व हिंदी के अलावा अपनी मातृभाषा में भी किस्से-कहानियां सुनाकर अन्य बच्चों को प्रेरित रहे हैं। इसके लिए उन्हें अब कुछ प्लेटफॉर्म भी मिलने लगे हैं...



21 फरवरी, 1952 
को बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की भाषायी नीति के विरोध में बड़ा आंदोलन किया था। आंदोलनकारी बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देने की मांग कर रहे थे, अंतत: जिसे सरकार को मानना पड़ा था। इस आंदोलन में अनेक युवा शहीद हो गए थे। उन शहीद युवाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए ही यूनेस्को ने 1999 में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की। दरअसल, विश्व में भाषायी एवं सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर वर्ष 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था।


International Mother Language Day 2020: आखिर 21 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है मातृभाषा दिवस?

यूनेस्को ने नवंबर 1999 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा मनाए जाने का फैसला किया था.



इसलिए चुनी गई 21 फरवरी की तारीख
21 फरवरी 1952 में ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की भाषायी नीति का विरोध किया. उनका प्रदर्शन अपनी मातृभाषा के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए था. प्रदर्शनकारियों की मांग बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देने की थी. पाकिस्तान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाई लेकिन विरोध नहीं रूका और अंत में सरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा.


भाषायी आंदोलन में शहीद हुए युवाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए यूनेस्को ने नवंबर 1999 को जनरल कांफ्रेंस में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का फैसला किया और 21 फरवरी की तारीख तय की गई. जिसके बाद से हर साल दुनिया भर में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाने लगा. 

हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा 
वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज के मुताबिक दुनिया भर की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं हैं जिनमें हिंदी तीसरे स्थान पर है. दुनिया भर में 61.5 करोड़ लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. हिंदी के बाद बंगाली दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 7वें स्थान पर है.

दुनिया भर के 26.5 करोड़ लोग बंगाली भाषा का प्रयोग करते हैं. 17 करोड़ लोगों के साथ 11वें नंबर पर उर्दू का स्थान है. 9.5 करोड़ लोगों के साथ 15वें स्थान पर मराठी, 9.3 करोड़ के साथ 16वें नंबर पर तेलगू और 8.1 करोड़ लोगों के साथ 19वें स्थान पर तमिल भाषा आती है.



Sunday, February 14, 2021

PISA 2020-21

 

PISA PRIMER FOR PARENTS OF ALL PISA-ELIGIBLE STUDENTS


(The Programme for International Student Assessment)

SET-1 OF CCT ASSIGNMENTS CLASS VI-X OCTOBER 2020

Conduct of Fifth Practice Assessment of Creative & Critical Thinking skills mapped to subject-wise competencies  

INFORMATION FOR STUDENTS/TEACHERS

This is to inform that Regional office,Chennai will be sharing the question papers in PDF form which is to be attended compulsorily by all students of Classes VII to X ( 2020-21).Hence the following instructions are circulated to all Teachers/Students concerned for strict compliance.

EXAMINATION TIME : 27.04.2020( 9.00 am to 12.00 Noon)

Instructions:-

  1. Question paper will be circulated to you before 8.30 am on 27.04.2020. The same to be shared to individual students.
  2. Please ensure proper communication through what’s app to parents so that they take special attention that every child attend the CCT and the answers are written in A4 paper and the same is communicated as photo sharing to class teachers through what’s app before 12.30 pm on 27.04.2020 itself. Individual parent to ensure that the child is attending CCT in an academic atmosphere and without any external help or disturbance.
  3. It will be the responsibility of the individual class teachers to ensure the receipt of all answer sheets in time so that the evaluation can be conducted immediately after the receipt of answer key on 28.04.20. On 28.04.20 itself and the consolidated information to reach the coordinators as details below.
  4. The Class teachers will assess the responses of the students and keep record for making entries in the Samagra Shiksha Portal by the respective co-ordinators.

PISA CCT ASSIGNMENTS 2021

PISA HANDBOOK FOR TEACHERS (CBSE)

Mathematics
Science
Reading
Reference

How does PISA work?