LIBRARY KENDRIYA VIDYALAYA BANSWARA
पुस्तकालय विभाग
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KENDRIYA VIDYALAYA REGIONAL OFFICES & ZIETS
Wednesday, September 22, 2021
Saturday, September 4, 2021
CELEBRATION OF TEACHERS' DAY/शिक्षक दिवस का उत्सव
हर साल 5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है।
राधाकृष्णन का जन्म 1888 में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह एक मेधावी छात्र थे और छात्रवृत्ति के माध्यम से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। एक महान विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न प्राप्तकर्ता, राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे।भारत के राष्ट्रपति के रूप में (1962-67 तक) उनके कार्यकाल के दौरान, उनके छात्रों और दोस्तों ने उनसे उनका जन्मदिन मनाने का अनुरोध किया। उन्होंने जवाब दिया, "मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय, यह मेरे लिए गर्व की बात होगी कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए।" तभी से उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा |
शिक्षक दिवस पर प्रश्नोत्तरी के लिए क्लिक करें
इस शिक्षक दिवस पर क्या आप अपने शिक्षक को एक संदेश भेजना चाहेंगे?यदि हां, तो कृपया अपना संदेश नीचे दिए गए फॉर्म में दें:
Thursday, August 26, 2021
READ INDIA CELEBRATION
Reading India Celebrations/2021
Registration last date: 31/8/21
Uploading materials in the given link: 15/9/2021.
STUDENTS MUST FILL THEIR DETAILS AND REGISTER ON RIC WEBSITE UNDER GIVEN LINK BEFORE 30/8/21 DON'T WAIT FOR LAST DATE.
IT IS COMPULSORY FOR CLASS STUDENTS FROM 3 TO 12.
IT IS COMPULSORY FOR CLASS STUDENTS FROM 3 TO 12.
CLICK ON BELOW IMAGE FOR REGISTRATION LINK AT RIC
Sunday, August 15, 2021
Celebration of Independance Day
Celebration of Independance Day
स्वतंत्रता दिवस का उत्सव
स्वतंत्रता दिवस का उत्सव
Library, KV Banswara wishes Happy 75th Independence day to all the Dear Students, Parents and Teachers. This Independence Month Library, KV Banswara brings you many exciting Activities to fulfill this day with joy, while learning. So, Lets begin and make it a memorable day.
Here is the list of Activities that can be performed by Students:
- Best Capture/Photo with National Flag in Ethnic Outfit
- Short Video - Act as a National Independence Activist (Max. 30 to 40 Seconds)
- Video - Dance - Record a Video of Dance on a Patriotic Song (Max. 1 to 1.5 minutes)
- Poster Making - Make a Poster on theme of Independence Day
Note:- After completing all the activities, send them to 9406554616 through whats App.
75th Independence Day celebrated at Kendriya Vidyalaya Banswara by teachers and through virtual mode by students. Here is the glimpse of the day...
Wednesday, August 11, 2021
Happy Librarians Day 12.08.2021
राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस(12 अगस्त) - भारतीय पुस्तकालय विज्ञान के पितामह डॉ. एस आर रंगनाथन की 129वीं जयंती का उत्सव
National Librarian's Day(12 August) - Celebration of 129th Birth anniversary of Dr. S R Ranganathan Father of Indian Library Science
Ranganathan dedicated his book "The Five Laws of Library Science" to his maths tutor at Madras Christian College, Edward Burns Ross. His birthday, August 12, has been denoted National Librarians' Day in India.
To Know more About Ranganathan watch this video
To Know more About Ranganathan and participate in Activities click on below tabs
डा. एस. आर. रंगनाथन का जन्म 12 अगस्त 1892 को शियाली, मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में हुआ था।रंगनाथन के योगदान का पुस्तकालय विज्ञान पर विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा। रंगनाथन की शिक्षा शियाली के हिन्दू हाई स्कूल, टीचर्स कॉलेज, सइदापेट में हुई थीं।मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने 1913 और 1916 में गणित में बी. ए. और एम. ए. की उपाधि प्राप्त की।1917 में उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, कोयंबटूर और 1921-23 के दौरान प्रेज़िडेंसी। कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया।
डा. एस. आर. रंगनाथन को भारतीय पुस्तकालय विज्ञान के जनक कहा जाता है।
Biography of Dr. S. R. Ranganathan
पूरा नाम- शियाली रामामृत रंगनाथन
जन्म-12 अगस्त 1892, तमिलनाडु
निधन-27 सितंबर 1972, बेंगलुरु
शिक्षा-मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन
माता-पिता-राममृता अय्यर, सीतलक्ष्मी
व्यवसाय-लेखक, अकादमिक, गणितज्ञ, पुस्तकालयाध्यक्ष
शैली-पुस्तकालय विज्ञान, प्रलेखन, सूचना विज्ञान
उल्लेखनीय काम -
पुस्तकालय वर्गीकरण के लिए प्रोलेगोमेना लाइब्रेरी साइंस के पांच कानून बृहदान्त्र वर्गीकरण रामानुजन: द मैन एंड द मैथमैटिशियन, वर्गीकृत सूची कोड: शब्दकोश सूची कोड के लिए अतिरिक्त नियमों के साथ पुस्तकालय प्रशासन, इंडियन लाइब्रेरी मैनिफेस्टो, लाइब्रेरी अथॉरिटीज़, लाइब्रेरियन और लाइब्रेरी वर्कर्स के लिए लाइब्रेरी मैनुअल वर्गीकरण और संचार, शीर्षक और कैनन; पांच कैटलॉग कोड का तुलनात्मक अध्ययन
पुरस्कार - पद्म श्री 1957 में Post
1924 में रंगनाथन को मद्रास विश्वविद्यालय का पहला पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया और इस पद की योग्यता। हासिल करने के लिए वह यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए।
1925 से मद्रास में। उन्होंने यह काम पूरी लगन से शुरू किया और 1944 तक इस पद पर बने रहें। 1945-47 के दौरान उन्होंने बनारस (वर्तमान वाराणसी) हिन्दू विश्वविद्यालय में पुस्तकालाध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया.
1947-54 के दौरान उन्होंने दिल्लीविश्वविद्यालय में पढ़ाया। 1954-57 के दौरान वह ज्यूरिख, स्विट्ज़रलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे। इसके बाद वह भारत लौट आए और 1959 तक विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में अतिथि प्राध्यापक रहे।
1962 में उन्होंने बंगलौर में प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया और इसके प्रमुख बने और जीवनपर्यंत इससे जुड़े रहे।
1957 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया। उनके जन्म दिन 12 अगस्त को पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस (Librarian's Day) मनाया जाता है।
Contribution in Library and Information Science
रंगनाथन द्वारा 1928 ई. मे पुस्तकालय विज्ञान के पाँच सूत्रों (Five Law of Library) का प्रतिपादन किया गया, जिससे पुस्तकालय सेवा को नया आयाम प्रपट हुआ। पुस्तकालय विज्ञान के लिए रंगनाथन का योगदान प्रायः सभी क्षेत्रों मे रहा।
उन्होने वर्गीकरण (Library Classification), सूचिकरण (Library Catalog), प्रबंधन (Management)और अनुक्रमणीकरण (इंडेक्सिंग) सिद्धांत था। उनके कोलन क्लासिफ़िकेशन(CC: Colon Classification - 1933 ई.) ने ऐसी प्रणाली शुरू की, जिसे विश्व भर में व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इस पद्धति ने डेवी दशमलव वर्गीकरण जैसी पुरानी पद्धति के विकास को प्रभावित किया। सन 1934 में वर्गीकृत सूचिकरण पद्धति (CCC: Classified Cataloguing Code) का प्रकाशन हुआ उन्होने इसमे अनुक्रमणीकरण प्रविष्टियों के लिए 'श्रृंखला अनुक्रमणीकरण' की तकनीक तैयार की।
उनकी फ़ाइव लॉज़ ऑफ़ लाइब्रेरी साइंस (1931) को पुस्तकालय सेवा के आदर्श एवं निर्णायक कथन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकृत किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय और कई राज्य स्तरीय पुस्तकालय प्रणालियों की योजनाएँ तैयार की।
कई पत्रिकाएँ स्थापित और संपादित की और कई व्यावसायिक समितियों में सक्रिय रहें।
S. R. Ranganathan (full name, Siyali Ramamrita Ranganathan (S.R.R.); born On 09 August 1892; died 27 September 1972) was a mathematician and librarian from India. His birth date is also written 12 August 1892 but he himself wrote his birth date 09 August 1892 in his book "five laws of library science". His most notable contributions to the field were his five laws of library science and the development of the first major faceted classification system, the colon classification. He is considered to be the father of library science, documentation, and information science in India and is widely known throughout the rest of the world for his fundamental thinking in the field. His birthday is observed every year as the National Librarian's Day in India. He was a university librarian and professor of library science at Banaras Hindu University (1945–47) and professor of library science at the University of Delhi (1947–55). The last appointment made him director of the first Indian school of librarianship to offer higher degrees. He was president of the Indian Library Association from 1944 to 1953. In 1957 he was elected an honorary member of the International Federation for Information and Documentation (FID) and was made a vice-president for life of the Library Association of Great Britain.
Listed below are some facts on the noted scholar that you must know:
He was born on August 9, 1982 in present day Tamil Nadu.
India celebrates August 12 as Librarians Day in his honour.
His most notable contributions to the field are his five laws of library science.
His Colon Classification (1933) introduced a system that is widely used in research libraries around the world.
In 1924 he was appointed first librarian of the University of Madras, and in order to fit himself for the post he travelled to England to study at University College, London.
In 1957 he was elected an honorary member of the International Federation for Information and Documentation (FID) and was made a vice-president for life of the Library Association of Great Britain.
In 1962, he founded and became head of the Documentation Research and Training Centre in Bangalore.
He also drafted plans for a national and several state library systems Prior to his occupation as Librarian, he was a teacher of Physics and Mathematics.
In the year 1965, the Indian government honoured him with the title of national research professor in library science The government of India conferred on him Padma Shree, the country's fourth highest civilian honour, in 1957.
Sunday, August 8, 2021
Reading Literacy: Practice Book for Students
Friday, August 6, 2021
Reading Literacy: Practice Book for Students
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